Gadhwa: जब पूरा देश 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस मना रहा था, उसी दिन झारखंड के गढ़वा जिला स्थित भवनाथपुर सेल टाउनशिप में एक युवा मजदूर की जान चली गई। यह हादसा सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि मजदूरों की सुरक्षा को लेकर व्यवस्था की घोर लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।
मृतक की पहचान धीरज कुमार साहनी (21 वर्ष), पिता रामप्रवेश साहनी, निवासी ग्राम दरवा, थाना ताजपुर, जिला समस्तीपुर (बिहार) के रूप में हुई है। धीरज भवनाथपुर आईएमडी सेल परिसर में ऊंचाई पर काम कर रहा था, जब वह अचानक नीचे गिर पड़ा। मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, घटना के वक्त मजदूर के पास न तो सेफ्टी बेल्ट था, न ही हेलमेट। सुरक्षा मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही थी। यह लापरवाही केवल ठेकेदार की नहीं, बल्कि सेल प्रबंधन और सुरक्षा अधिकारियों की भी बराबर की जिम्मेदारी है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि सेल साइट पर पहले भी कई बार सुरक्षा उपायों की कमी को लेकर शिकायतें की गई हैं, लेकिन हर बार अधिकारियों ने औपचारिक जांच का हवाला देकर मामले को टाल दिया। इस बार भी वही पुराना बयान—”जांच की जाएगी”—सुनने को मिला है।
इस हृदयविदारक हादसे ने मजदूर दिवस की सार्थकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस दिन मेहनतकशों को सम्मान देने की बात होती है, उसी दिन एक मजदूर की मौत यह बताती है कि ज़मीनी हकीकत कितनी कड़वी है।
अब सवाल यह है कि आखिर मजदूरों की जान की क्या कीमत है? क्या प्रशासन और संबंधित एजेंसियां तब तक जागेंगी, जब तक एक के बाद एक जानें जाती रहेंगी?
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सरकार और उद्योग प्रबंधन से यह उम्मीद की जा रही है कि इस बार केवल जांच तक सीमित न रहकर, सख्त कार्रवाई हो, दोषियों को दंड मिले और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।
यह केवल एक मजदूर की मौत नहीं, एक चेतावनी है—व्यवस्था को अब जगना होगा।