Chatra– टंडवा अंचल में सरकारी और गैर सरकारी जमीन से जुड़े एक बड़े फर्जीवाड़े के मामले की जांच के तहत सीआईडी ने रविवार को टंडवा अंचल कार्यालय में छापेमारी की। इस दौरान टीम ने वहां मौजूद अधिकारियों और कर्मियों से पूछताछ की और कई महत्वपूर्ण फाइलों को जब्त किया। यह कार्रवाई चतरा जिला प्रशासन द्वारा दर्ज कांड संख्या 54/25 के तहत की गई, जिसमें फर्जी वंशावली के आधार पर सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) में नौकरी और मुआवजा पाने का आरोप है।

जांच के शुरुआती चरण में सीआईडी को अहम गोपनीय सुराग हाथ लगे हैं, जिसके बाद यह छापेमारी की गई। डीएसपी दीपक कुमार के नेतृत्व में सीआईडी की टीम ने घंटों अंचल कार्यालय में रहकर फाइलों की जांच की और संदिग्ध दस्तावेजों को अपने साथ ले गई।
जिला प्रशासन की जांच में बड़ा खुलासा इस मामले की प्राथमिकी 29 मार्च 2025 को भू-अर्जन पदाधिकारी वैभव कुमार सिंह के बयान पर टंडवा थाने में दर्ज की गई थी। इसके बाद अनुमंडल पदाधिकारी (सिमरिया) की अध्यक्षता में छह सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई, जिसने चतरा के राजस्व शाखा को अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में पाया गया कि सीसीएल पिपरवार क्षेत्र में नौकरी और मुआवजा पाने के लिए 22 लोगों ने फर्जी वंशावली और अन्य दस्तावेजों का सहारा लिया। इन दस्तावेजों में फर्जी लगान रसीद, हुकुमनामा, नक्शा सत्यापन और जमाबंदी शामिल हैं।
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जांच में यह भी पाया गया कि इन फर्जी दस्तावेजों को तैयार करने में टंडवा अंचल और सीसीएल के कुछ अधिकारी और कर्मी शामिल हैं। संगठित गिरोह की भूमिका उजागर रिपोर्ट के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के दौरान विस्थापित रैयतों को मुआवजा और नौकरी देने की योजना का दुरुपयोग किया गया। एक संगठित गिरोह ने स्थानीय रैयतों की पहचान में हेराफेरी कर फर्जी लाभुकों को लाभ पहुंचाया।
मामले में संलिप्त लोगों की संख्या बढ़ सकती है और सीआईडी जांच आगे भी जारी रहने की संभावना है। अगला कदम क्या है? अब सीआईडी की टीम जब्त दस्तावेजों की गहन जांच कर रही है। इसमें दोषी अधिकारियों, कर्मियों और लाभुकों की पहचान की जा रही है। जांच में आरोप सही पाए जाने पर संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।





