Guru Purnima 2025: आज देशभर में गुरु पूर्णिमा का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व ज्ञान, मार्गदर्शन और संस्कारों के प्रतीक ‘गुरु’ को समर्पित होता है। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में शैक्षणिक, धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

शास्त्रों के अनुसार, आज ही के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाभारत की रचना की और वेदों का संकलन किया। उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने हेतु इस दिन को व्यास पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। वेदव्यास को ‘आदिगुरु’ माना जाता है और उनके सम्मान में ही यह परंपरा स्थापित हुई कि गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु को याद किया जाए और उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाए।
इस दिन विशेष रूप से विद्यालयों, महाविद्यालयों और अन्य शिक्षण संस्थानों में गुरु वंदना कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां विद्यार्थी अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। कई स्थानों पर धार्मिक प्रवचन, योग शिविर और ध्यान कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।
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भारत में गुरुओं की परंपरा अत्यंत समृद्ध रही है। केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन मूल्यों, नैतिकता और आत्मिक विकास में भी गुरु की भूमिका केंद्रीय रही है। प्राचीन समय में गुरुकुल प्रणाली के माध्यम से विद्यार्थियों को संपूर्ण जीवन दर्शन सिखाया जाता था। आज भी गुरु पूर्णिमा का दिन इसी परंपरा की स्मृति को जीवित रखता है।
आज के दिन लाखों लोग अपने आध्यात्मिक, शैक्षणिक और व्यक्तिगत जीवन के गुरुओं को स्मरण कर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस पर्व का मूल संदेश यही है कि जीवन में सच्चे मार्गदर्शक का होना आवश्यक है, जो अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान और सद्गुणों की ओर ले जाए।





