Bhagalpur: मेरठ की बहुचर्चित ‘ब्लू ड्रम मर्डर केस’ की भयावह गूंज अब बिहार के भागलपुर तक पहुंच चुकी है। इस बार निशाने पर है एक आम आदमी — शैलेंद्र साह, जो अंबाबाग का निवासी है और तीन बच्चों का पिता है। दिल दहला देने वाली घटना में उसने अपनी ही पत्नी से जान का खतरा जताते हुए खुद को आग लगाने की कोशिश की।
शैलेंद्र का आरोप है कि उसकी पत्नी प्रियंका, उसके ही मुंह बोले मामा से प्रेम करती है और अब उसी के साथ रहना चाहती है। जब पति ने सुलह की कोशिश की, तो पत्नी ने उसे ‘ब्लू ड्रम मर्डर’ का वीडियो दिखाकर धमकाया — “तू माने या ना माने, तुझे भी ड्रम में बंद कर फेंक दूंगी!”
भीड़ के बीच आत्मदाह की कोशिश, पुलिस बनी फरिश्ता
घटना शुक्रवार दोपहर की है। शहर के व्यस्त इलाके में शैलेंद्र ने खुद पर पेट्रोल छिड़क लिया और लाइटर जलाने ही वाला था कि ट्रैफिक पुलिस ने तत्काल लाइटर छीनकर उसकी जान बचा ली। भीड़ सन्न थी, कुछ को लगा यह नाटक है, पर जब शैलेंद्र की कांपती आवाज़ में यह निकला — “अगर पुलिस नहीं आती, तो मेरी लाश ब्लू ड्रम में मिलती…” — तो लोग दहल उठे।
टूटे दिल की चीख — “मैं मरना नहीं चाहता, पर डर में जी नहीं सकता”
थाने में पुलिस की सुरक्षा में बैठे शैलेंद्र की आंखों में अब भी खौफ है। वह बार-बार दोहराता है कि उसे जान का खतरा है, और वह अपने बच्चों की खातिर जिंदा रहना चाहता है।
“कानून मेरी पत्नी पर भी उतनी ही सख्ती क्यों नहीं दिखाता, जितना एक पुरुष पर दिखाता है?” — यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।
क्या कानून अब जागेगा?
घटना के बाद तीन थानों की पुलिस मौके पर पहुंची और अब मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। शैलेंद्र ने अपनी और बच्चों की सुरक्षा की मांग की है।
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सवाल उठता है —
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क्या अब ‘ब्लू ड्रम’ एक नए किस्म का अपराध का प्रतीक बन चुका है?
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क्या प्रेम में पागलपन हत्या की हद तक पहुंच चुका है?
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और सबसे अहम — कब तक पुरुषों के दर्द और पीड़ा को मज़ाक समझा जाएगा?
समाज और सिस्टम को जवाब देना होगा।
क्योंकि दर्द, किसी एक लिंग का नहीं होता।
रिपोर्ट: अंजनी कुमार कश्यप