Saturday, July 19, 2025
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बोकारो के होनहार बेटों ने रचा इतिहास: जेईई मेंस 2025 में हर्षित आनंद और ऋषभ रंजन बने जिले के टॉपर और सेकंड टॉपर

Bokaro: कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास जब एक साथ चलते हैं, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। इसका जीवंत उदाहरण बने हैं बोकारो के दो होनहार छात्र – हर्षित आनंद और ऋषभ रंजन, जिन्होंने जेईई मेंस 2025 में शानदार प्रदर्शन कर जिले का नाम रोशन किया है।

हर्षित आनंद ने 99.91 परसेंटाइल के साथ बोकारो जिला टॉपर बनने का गौरव प्राप्त किया है। चास के नंदूआ इलाके के एक साधारण परिवार में जन्मे हर्षित के पिता एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं और माता एक प्राइवेट प्ले स्कूल में शिक्षक हैं। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद हर्षित ने कोचिंग का सहारा लिए बिना घर पर ही कठिन परिश्रम और नियमित पढ़ाई के बल पर यह मुकाम हासिल किया।
हर्षित का कहना है कि उन्होंने पढ़ाई के लिए रोज़ाना एक निश्चित समय निर्धारित किया था और जब थकान महसूस होती थी तो थोड़ी देर टहल कर दोबारा पढ़ाई में जुट जाते थे। उन्होंने बताया कि कोचिंग क्लास बंद हो जाने के बाद उन्होंने आत्मनिर्भरता से पढ़ाई जारी रखी।

दूसरी ओर, बोकारो के सेकंड टॉपर ऋषभ रंजन ने 99.90 परसेंटाइल प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि आर्थिक स्थिति कभी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। चास के विहार कॉलोनी निवासी ऋषभ के पिता रवी रंजन एक ड्राइवर हैं और माता गृहिणी हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद, परिवार ने बच्चों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऋषभ ने ट्यूशन या कोचिंग नहीं लिया, बल्कि मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेस और सेल्फ स्टडी कर यह अद्भुत सफलता हासिल की।

ऋषभ के पिता की आंखें बेटे की सफलता पर गर्व और भावुकता से छलक उठीं। उन्होंने कहा, “हमारे पास संसाधनों की कमी थी, लेकिन बेटे ने कभी शिकायत नहीं की। वह जानता था कि घर की आमदनी सीमित है, इसलिए फिजूलखर्ची से बचता था और पूरी लगन से पढ़ाई करता था।”

ऋषभ की बड़ी बहन पहले ही चार्टर्ड अकाउंटेंट बन चुकी हैं और अब बेटे ने जेईई मेंस में सफलता पाकर परिवार का नाम रोशन किया है। ऋषभ ने दसवीं तक की पढ़ाई एसबीएन पब्लिक स्कूल से और इंटरमीडिएट की पढ़ाई आदर्श विद्या मंदिर से की।

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दोनों छात्रों की सफलता न केवल उनके परिवारों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उन हजारों विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में बड़े सपने देखते हैं। हर्षित और ऋषभ ने साबित कर दिया कि सपने देखने की कोई कीमत नहीं होती, और उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत ही सबसे बड़ा हथियार है।

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